समझदार पहल – पानी का महत्व

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चुनमुन खरगोश खेल कर आया था। अन्दर आते ही उसको घर में पसरी हुई शांति का अहसास हुआ। पापा परेशान लग रहे थे और मम्मी उनके पास बैठी धीमे धीमे बात कर रही थीं। चुनमुन को देखकर उन्होंने उसे पास बुलाकर बैठा लिया।

चुनमुन उनकी बातें ध्यान से सुन रहा था। उसके पापा म्यूनिसपैलिटी में जल विभाग के इंचार्ज थे। आज जंगल की जनता के कुछ नुमाइंदे उनसे मिलकर गए थे और धमकी दी थी कि आने वाली गर्मियों के लिए पानी का इंतजाम बढ़िया रहना चाहिए। कोई भी कटौती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पापा मम्मी को बता रहे थे। पिछले साल बारिश ही कम हुई थी और जलाशय पूरे भर ही नहीं पाए थे। जनसंख्या बढ़ने से खपत भी बढ़ गई है और फिर किफायत तो जैसे किसी ने सीखी ही नहीं है। ऐसे में कटौती नहीं की तो बारिश आने से पहले ही सारा पानी खर्च हो जाएगा तो? अब इन लोगों को कैसे समझाया जा सकता है। इन्हें तो अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए झगड़ा फसाद कराना है।

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